डायरी सखि
एक बात तो बताओ सखि, ये अपनापन क्या होता है ? क्या कहा ? तुम्हें भी नहीं पता ? ये तो कमाल हो गया । लोग तो कहते हैं कि खून के रिश्ते वाले लोग अपने होते हैं । अगर यह सही है तो फिर अनेक वृद्धजन दर दर क्यों भटक रहे हैं ? उनके खून के रिश्ते का क्या हुआ ? दर दर भटकने को उन्हीं ने विवश किया है तो फिर खून के रिश्तों का क्या फायदा ?
लोग कहते हैं कि सात फेरे वाले रिश्ते अपने कहलाते हैं । बात तो कुछ हद तक सही लगती भी है । मगर जब मैं प्रतिलिपि पर बहुत सी रचनाऐं पढता हूं तो महसूस होता है कि जो चोट खायी है लोगों ने वो चोट उन्हें सात फेरे वाले रिश्ते ने ही दी है । तो क्या इसे अपनापन कहेंगे ?
अब आते हैं एक और रिश्ते पर । यह कोई खून का रिश्ता नहीं है और न ही किसी मंडप के नीचे बनता है । यह तो दोस्ती का रिश्ता है जो बचपन से लेकर बुढापे तक बनता बिगड़ता रहता है । हां यह रिश्ता बहुत प्रगाढ होता है मगर यहां पर भी धोखा , विश्वासघात मिल जाता है ।
तो फिर अपनापन का रिश्ता क्या है सखि ?
मैं तो एक बात जानता हूं सखि, जो कोई भी व्यक्ति दुख में आपके साथ खड़ा हो, वही आपका अपना है । वह चाहे आपका पुत्र, पुत्री, माता पिता, पति - पत्नी या दोस्त हो या कोई और । मैं तो उसे ही अपना कहूंगा । अपनेपन की पहचान तो दुख में ही होती है सुख में नहीं । सुख में तो सभी अपने नजर आते हैं ।
तुम्हारा क्या खयाल है सखि ?
हरिशंकर गोयल "हरि"
16.6.22
Radhika
09-Mar-2023 12:44 PM
Nice
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Pallavi
18-Jun-2022 09:50 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
17-Jun-2022 03:37 PM
बेहतरीन
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